एक करोना वायरस के आगे 150 करोड़ की आबादी वाला चीन अपने ही घर में बंदी बन गया है,सारे रास्ते वीरान हो गए हैं,चीन के राष्ट्रपति तक भूमिगत हो गए हैं


एक करोना वायरस के आगे 150 करोड़ की आबादी वाला चीन अपने ही घर में बंदी बन गया है,सारे रास्ते वीरान हो गए हैं,चीन के राष्ट्रपति तक भूमिगत हो गए हैं


एक सूक्ष्म सा जंतु और दुनियाँ  को आँखे दिखाने वाला चीन एकदम शांत,भयभीत।


केवल चीन ही क्यों?


सारे विश्व को एक पल में शांत करने की ताकत प्रकृति में है!


हम जातपात,धर्म भेद,वर्ण भेद,प्रांत वाद के अहंकार से भरे हुए हैं।


यह गर्व,यह घमंड करोना ने मात्र एक झटके में उतार दिया,बिना किसी भी प्रकार का भेद रखे सारे चीन को बंदिस्त करके रख दिया है,नौबत यहां तक आ गई है कि,चीन का राष्ट्रपति  भूमिगत रहते हुए ही अपने ही बीस हजार लोगों को मौत के घाट उतार देने की भाषा बोलने लगा।


इस संसार का कोई भी जीव इस प्रकृति के आगे बेबस है,लाचार है🦜


प्रकृति ने शायद
यही संदेश दिया है;
प्यार से रहो,जियो और जीने दो!


अन्यथा सुनामी है,करोना है,रीना है,टीना है;लेकिन इसके बावजूद अगर,
   जीना है तो प्यार से



इंसान को कभी भी अपने वक़्त पर घमंड नहीं करना चाहिए,क्योंकि वक़्त तो उन नोटों का भी नहीं हुआ,जो कभी पूरा बाजार खरीदने की ताकत रखते थे!   


ज़िन्दगी है साहब,
छोड़कर चली जाएगी;
मेज़ पर होगी तस्वीर,
कुर्सी खाली रह जाएगी।"